सत्संग से संजीवनी
सत्संग रुपी नौका में बैठकर विचारवान भक्त सहजता सेभव सागर पार हो जाता है।*जो प्रेम गली में आया ही नहीं**प्रितम का ठिकाना क्या जाने**जिसने कभी प्रित लगाई नहीं**वो प्रितम से मिलना क्या जाने**❣️💓 !! श्री राधा !! 💓❣️*
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सत्संग रुपी नौका में बैठकर विचारवान भक्त सहजता सेभव सागर पार हो जाता है।*जो प्रेम गली में आया ही नहीं**प्रितम का ठिकाना क्या जाने**जिसने कभी प्रित लगाई नहीं**वो प्रितम से मिलना क्या जाने**❣️💓 !! श्री राधा !! 💓❣️*
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